क्या हम सोच सकते है 11 वर्ष की उम्र में घर से भागने वाले लड़का दिल्ली जाकर रेलवे स्टेशन पर कचरा बीनने वाला लड़का विक्की रॉय कैसे बना एक महसूर फोटोग्राफर।
महसूर फोटोग्राफर 27 वर्ष के विक्की रॉय की गरीबी और संघर्ष की कहानी।
पुरुलिया गाओ पचिम बंगाल में एक गरीब परिवार में जन्मे थे। उसके गरीब मा-बाप ने अपने बेटे की परवरिश के लिए उसे उसके नाना-नानी के पास भेज दिया।
नाना-नानी के घर उसके साथ बहुत अत्याचार होता था। वह उनको दिन बार काम करना पड़ता था और छोटी छोटी बातों के लिए भी उन्हें डाट ओर मार खाना पड़ता था।
विक्की को बचपन से ही घूमने फिरने का बहुत सोख था इसलिए वो 1990 में मात्र 11 वर्ष की उम्र में अपने मामा के जेब से 900 रुपए चोरी करके नाना-नानी के घर से दिल्ली भाग गए।
जब वो दिल्ली पहुचे तो लोगो की भीड़ भाड़ देखकर रोने लगे। फिर उनकी मुलाकात रेलवे स्टेशन पर रहने वाले कुछ लड़कों से हुई,जो वह कचरा बीनने का काम करते थे। वो दिन भर उनके साथ रहते ओर स्टेशन पर पड़े खाली बोतलो के बीनकर उसमे पानी भरकर लोगो को बेच दिया करते थे। ओर रात में वही स्टेशन में सो जाते थे।
कुछ दिनों बाद उनको एक आदमी ने वह से लेकर अनाथलय में लाकर छोड़ लिया। अनाथलय में दिन भर ताला लगा रहता था, वह से कोई भी बाहर नही जा सकता था। विक्की फिर से एक कैदी की तरह हो गए थे। इसलिए उन्होंने वह से भागने का सोचा ओर एक दिन मौका देखकर वो अनाथालय से भागकर फिरसे स्टेशन में चले गए और वही काम करने लगे।
लेकिन पैसो की तंगी के कारण फिर उन्होंने अजमेरी के एक रेस्तरां में बर्तन धोने का काम करने लगे। यह समय उसके लिए सबसे मुश्किल था क्योंकि उसको सुबह 5 बजे कड़ाके की ठंड में उठा दिया जाता था और रात के 12 बजे तक उन्हें ठंडे पानी से बर्तन धोने पड़ते थे।
Life changing movement in his life
नाना-नानी के घर उसके साथ बहुत अत्याचार होता था। वह उनको दिन बार काम करना पड़ता था और छोटी छोटी बातों के लिए भी उन्हें डाट ओर मार खाना पड़ता था।
विक्की को बचपन से ही घूमने फिरने का बहुत सोख था इसलिए वो 1990 में मात्र 11 वर्ष की उम्र में अपने मामा के जेब से 900 रुपए चोरी करके नाना-नानी के घर से दिल्ली भाग गए।
जब वो दिल्ली पहुचे तो लोगो की भीड़ भाड़ देखकर रोने लगे। फिर उनकी मुलाकात रेलवे स्टेशन पर रहने वाले कुछ लड़कों से हुई,जो वह कचरा बीनने का काम करते थे। वो दिन भर उनके साथ रहते ओर स्टेशन पर पड़े खाली बोतलो के बीनकर उसमे पानी भरकर लोगो को बेच दिया करते थे। ओर रात में वही स्टेशन में सो जाते थे।
कुछ दिनों बाद उनको एक आदमी ने वह से लेकर अनाथलय में लाकर छोड़ लिया। अनाथलय में दिन भर ताला लगा रहता था, वह से कोई भी बाहर नही जा सकता था। विक्की फिर से एक कैदी की तरह हो गए थे। इसलिए उन्होंने वह से भागने का सोचा ओर एक दिन मौका देखकर वो अनाथालय से भागकर फिरसे स्टेशन में चले गए और वही काम करने लगे।
लेकिन पैसो की तंगी के कारण फिर उन्होंने अजमेरी के एक रेस्तरां में बर्तन धोने का काम करने लगे। यह समय उसके लिए सबसे मुश्किल था क्योंकि उसको सुबह 5 बजे कड़ाके की ठंड में उठा दिया जाता था और रात के 12 बजे तक उन्हें ठंडे पानी से बर्तन धोने पड़ते थे।
Life changing movement in his life
एक दिन उसी रेस्तरां में एक सज्जन पुरुष आये और उंसने विक्की को काम करते हुए देख। उंसने विक्की से कहा तुम्हारी उम्र अभी कमानी की नही है पड़ने लिखने की है। और वो विक्की को वह से निकाल कर वो सलाम बालक ट्रस्ट में ले गए। सलाम बालक ट्रस्ट की "अपना घर" संस्था में रहने लगे।
सन 2000 में उनका दाखिला छटवी क्लास में कर दिया गया, ओर विक्की डेली स्कूल जाने लगे। लेकिन 10वी क्लास में विक्की के केवल 48% आये इसलिए उन्होंने कुछ अलग करने का सोचा।
फोटोग्राफी की शुरूआत
2004 में विक्की ने अपने फोटोग्राफी की रुचि के बारे में अपने टीचर को बताया। उस समय ट्रस्ट के अंदर फोटोग्राफी वर्कशॉप का आयोजन हो रहा था, जिसके के ब्रिटिश फोटोग्राफर डिक्सी बेंजामिन आये हुए थे। तो टीचर ने विक्की का डिक्की बेंजामिन से परिचय कराया और कहा ये फोटोग्राफर बनना चाहता है। डिक्सी ने विक्की को थोड़ी बहुत फोटोग्राफी बताया पर विक्की को उसके साथ काम करने में परेशानी हुए, क्योकि विक्की को इंग्लिश नही आती थी। कुछ समय बाद डिसकी वापस विदेश लौट गए। इसके बाद विक्की को दिल्ली के एक फोटोग्राफर, एनी मान से सीखने का मौका मिला। एनी मान उसे 3000 रुपए तनखा के रूप में ओर बाइक का खर्चा देते थे।
18 साल की उम्र तक तो विक्की सलाम ट्रस्ट में रहे उसके बाद उन्होंने किराये का मकान लिया। उंसने सलाम ट्रस्ट से कैनन कैमरा खरीदने के लिए लोन लिया। जिसके बदले उन्हें हर महीने 500 रुपए ट्रस्ट को देना पड़ता था। और 2500 रूम किराया भी देना पड़ता था इसलिए उसने होटलो में वेटर का भी काम चालू कर दिया इसके लिए उसे डेली 250 रुपए मिलते थे।
2007 में विक्की जब 20 साल के हो गए तो उन्होंने एक प्रदर्शनी लगाई जिसका नाम था"street dream" ओर उन्होंने इसे india habbit center में लगाई थी। इससे उन्हें बहुत ख्याति मिली और इसके बाद में वो लंदन,वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका भी गए।
2008 में विक्की अन्य तीन फोटोग्राफर के साथ राम नाथ चंद्र नाथ नामित ,माये बच फाउंडेशन के फोलग्राफी के लिए न्यूयॉर्क भी गए। 2009 की सुरूआत में उंसने वर्ड ट्रेड सेंटर के पुननिर्माण की फोटोग्राफी का अध्यन किया। वापस आने के बाद सलाम बालक ट्रस्ट ने उसे international award for young people से सम्मानित किया।
इसके बाद विक्की को कई सम्मान से सम्मानित किया गया। 2010 में विक्की को Bahrain Indian ladies association ki or se Young achiever India से सम्मानित किया।
2011 में विक्की ओर उसके दोस्त ने फोटोग्राफी लाइब्रेरी बनाई और कई बड़े फोटोग्राफर को इससे जुड़ने को कहा ताकि पैसों की तंगी से जो लोग किताबे नही खरीद पाते थे उनकी सहायता की जा सके। अब इस लाइब्रेरी में 500 किताबे है और विक्की समय समय पर वर्कशॉप भी करते है। इसके बाद विक्की का 2013 में Net Geo mission के cover shoot के लिए हुआ और वो श्रीलंका गए। इसी साल उन्होने home street home नामक किताब लिखी जिसको नाजर फाउंडेशन से प्रकाशित किया। इसका दूसरा भाग भी 2013 में दिल्ली फ़ोटो फेस्टिवल में प्रकाशित हुआ।
कई सालों के बाद विक्की अपने परिवार से मिले और उनके साथ है।
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