Wednesday, January 24, 2018

मेरा वीर बेटा कब आएगा, एक वीर जवान की कहानी

एक गांव में एक माँ का एक  16 साल पुत्र था। पिता के गुजर जाने के बाद माँ ने ही उसका पालन पोषण किया। उसकी माँ घर पर ही सिलाई करके अपना घर चलती थी। उसका बेटा भी बहुत समझदार था। वो सुभह के समय अखबार ओर शाम को स्कूल से आने के बाद रात के 10 बजे तक होटल में वेटर का काम करता था।

12 क्लास में अच्छे नंबर से पास होने के बाद उसने आर्मी भर्ती की परीक्षा दी और वो पास हो गया। कुछ दिन बाद उसके घर आर्मी से बुलावा आया।
अपनी माँ को छोड़ कर जाने का उसका मन नही कर रहा था। पर मा के कहने पर उंसने आर्मी जॉइन कर लिया।
उसकी माँ अब बिल्कुल ही अकेली सी हो गयी थी और बेटे के बिना उसका मन कही नही लग रहा था।
बेटा भी हर समय अपनी माँ को ही याद करता था। कुछ दिन बाद जब दीवाली की छुट्टियों में वो घर गया तो उसकी माँ की खुशी का ठिकाना नही रहा। दोनो ने छुट्टियों के दिन बहुत ही खुशी से बिताये। फिर उसके जाने का समय आ गया। माँ का दिल तड़प रहा था पर उंसने बेटे के सामने कुछ नही कहा और बेटे को खुशी खुशी विदा कर दिया। उसके जाने के बाद मा का दिल फिर उदास हो गया। उसकी माँ हर समय उसके आने का ही रास्ता देखती रहती थी।

बेटा जब भी छुट्टियों में आता दोनो बहुत खुशी खुशी साथ रहते ओर बिछड़ने के बाद उदास से हो जाते थे।

एक बार बहुत समय के बाद उसके घर डाकिया आया और उसने उसको एक लेटर दिया। माँ ने वो लेटर अपनी पड़ोस की मेडम के पाश ले जाकर उसे दिया और कहा मेरे बेटे का खत है पड़के सुना ना कब आएगा मेरा बेटा,
मेडम ने खत में पड़ा तो उसके होश उड़ गए और वो रोने लगी।
उसके रोने के कारण माँ का दिल और बेचैन सा हो गया और कहने लगी 'बता ना क्या हुआ, कब आएगा मेरा बेटा।
मेडम ने भाउक होकर कहा- माँ जी आपका बेटा अब नही रहा। कल सीने पर गोली लगने के कारण उसकी मौत हो गयी।
माँ कूट कूट कर रोने लगी।

Salut our indian army




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